शब्दों का सच्चा सौदागर - 1 in Hindi Fiction Stories by Chanchal Tapsyam books and stories PDF | शब्दों का सच्चा सौदागर - 1

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शब्दों का सच्चा सौदागर - 1

अनजान शख्स 

सूचना :– इस रचना के सभी पात्र काल्पनिक है इस रचना का किसी के जीवन से कोई ताल्लुक नहीं है अगर किसी के जीवन से इसका ताल्लुक होना प्रतीत होता है तो यह मात्र एक संयोग होगा।

नीला एक चायवाले से किसी का पता पूछ रही थी। "भैया, यहां राघव जी कहा रहा रहते है?"
(चायवाला हंसकर बोलता है) "आप भी आ गई। आप भी उस सिरफिरे से मिलना चाहती है..., बगलवाली सीढ़ी ऊपर जाइए वही एक बंद कोठी में रहता है, जाइए जाइए आप भी मिल लीजिए।"
नीला एक 24 वर्षीय पत्रकार है उसने अपनी पत्रकारिता में ग्रेजुएशन अभी जल्दी ही पूरा की है उसके अंदर अभी नौजवान वाले जोश है जो उसे नई–नई चीजों को खोजकर लोग तक उसकी जानकारी पहुंचाने के लिए प्रेरित करते है। उसे कही से राघव के बारे में पता चला तो वह उससे मिलने के लिए निकल पड़ीं।
नीला सीढ़ी के सहारे ऊपर जाती है तो देखती है दरवाजा जो काफी पुराना था जिस पर कुछ शब्द लिखे हुए थे जैसे "सच्ची बातें", "अनजान साथी", "विश्वास" वगैरह–वगैरह। नीला इसको बड़े ध्यान से पढ़ती है और फिर दरवाजा खटखटाती है। दरवाजा चरचराहट की आवाज के साथ खुलता है... सामने एक 48 वर्षीय पुरुष, लंबी दाढ़ी रखे, चेहरे पर तेज लिए खड़ा होता है। उसी दाढ़ी देखकर ऐसा लगता है कि मानो उसे अपनी दाढ़ी से कितना प्रेम हो। दाढ़ी को संवारकर स्वच्छ किया हुआ। 
नीला नमस्ते करती है वह व्यक्ति नीला को अंदर आने को कहता है। नीला चेहरे पर थोड़ा आश्चर्य लेकिन खुशी लिए हुए अंदर दीवारों को देखते हुए प्रवेश करती है। आश्चर्य इस बात का की इतने गंदे तथा दीवारों पर अलग-अलग भाषाओं में लिखे हुए शब्दों के साथ कैसे रह रहा है और खुशी इस बात की कि वह एक ऐसे व्यक्ति से मिलने आई है जिसके बारे में उसने कुछ नया सुना है। वह कुछ पूछ पाती उसके पहले एक व्यक्ति कमरे में प्रवेश करता है जिसकी उम्र तकरीबन 60 वर्ष थी। जिसकी आंखों में अपने पुराने समस्या के समाधान पाने की आशा झलक रही थी। वह व्यक्ति राघव के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है राघव उसे एक प्लास्टिक की रस्सी से बुने हुए सोफे पर बैठता है और फिर उसके बगल में बैठ जाता है। राघव उस व्यक्ति से उसकी समस्या पूछता है। वह व्यक्ति बताता है कि उसने अपने जवानी के दिनों में एक लड़की से प्रेम करता था और उससे शादी रचा ली थी बिना घरवालों को बताए। डर के मारे उसने उस शादी के बारे में घरवालों को नहीं बताया और उसके घरवाले उसकी शादी कही और कर दिए। दूसरी पत्नी के प्यार वह पहली वाली को भूल गया। अब दूसरी पत्नी की मृत्यु के बाद उसे फिर से अपने पुराने प्यार के बारे में ख्याल आने लगे। लेकिन अपने किए हुए करतूतों को लेकर उसके सामने जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है उसके पास पहली वाई पत्नी से मिलकर बात करने के शब्द भी नहीं है और यह भी पता चला है कि उसकी एक बेटी भी है जो कि इसी व्यक्ति की है उस महिला ने दूसरी शादी नहीं की है और इसी के इंतजार में अपना जीवन इस कठोर समाज में काट रही है जिसमें ताने मारने की भरपूर क्षमता है। वह इन गुनाहों के साथ उस स्त्री से कैसे बात करे इसलिए वह शब्द खरीदने यह आया है। इतना बताते ही वह फूट फूट कर रो पड़ता है। राघव एक पर्चे में कुछ लिखता है 
"हे प्रिये मेरी खामोशी तुम्हे बड़ा दुख दी है मुझे माफ कर दो... मै फिर से अपने परिवार के साथ रहना चाहता हूं.., मुझे पता है मेरी बेटी आज अपने पिता को देखकर खुश नहीं होगी क्योंकि उसकी मां की हालत का जिम्मेदार जो हूं... लेकिन फिर भी मैं माफी मांगता हूं,...मुझे माफ कर दो।"
यह देखकर वह व्यक्ति रो पड़ता है वह इसकी कीमत पूछता है राघव कहता है कि उस बच्ची का अपने परिवार मिलना मेरे लिए बहुत होगा लेकिन यदि आप कुछ देना चाहते है तो मुझसे एक वादा करिए कि आप कभी भी उनको दुखी नहीं करेंगे। वह व्यक्ति वादा करता है और चला जाता है।
 नीला बड़े आश्चर्य से यह सब कुछ देख रही थी। वह राघव से पूछती है कि क्या इतने शब्द उसके परिवार को मिलने के लिए काफी है। राघव कहता है बिछड़ने के बाद फिर से मिलना और माफी मांग लेना उस रिश्ते को फिर से नई शुरुआत देने के लिए काफी होता है। ये कुछ ऐसे शब्द है जो अनमोल है जिनका सौदा करना काफी कठिन होता है।
नीला मेज पर पड़ी पुस्तक देखती है जो हवा के कारण खुल जाती है जिस पर नाम और उसके आगे कुछ शब्द लिखे होते है। वह आश्चर्य चकित हो जाती है और क्योंकि अभी जो व्यक्ति गया है उसका भी नाम और वही शब्द लिखे हुए थे जो उसने पर्ची में लिखा था नीला आगे पड़ती है तो देखती है कि कुछ शब्द एक गुमनाम व्यक्ति के लिए लिखा था।
नीला अब राघव को समझने की कोशिश करती है लेकिन वह अब तक की घटना को देखकर इसके बारे में इतना जरूर जान लेती है कि राघव का अतीत कुछ और था।

जारी है...